चौरी-चौरा कांड | Chauri Chaura Scandal
चौरी-चौरा कांड | Chauri Chaura Scandal
(चौरी-चौरा कांड(Chauri Chaura Scandal) : 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले (उ.प्र.) के चौरी-चौरा नामक एक छोटे से गांव में हुई एक घटना ने इस गांव का नाम भारतीय इतिहास के पन्नों में सदैव के लिये दर्ज करा दिया। यह घटना इतनी महत्वपूर्ण थी कि गांधीजी का बहुप्रतीक्षित सविनय अवज्ञा आंदोलन भी 6 साल के लिये स्थगित हो गया।
पुलिस ने यहां स्वयंसेवक दलों के कुछ नेताओं को बुरी तरह पीटा, क्योंकि ये लोग शराब की बिक्री एवं खाद्यान्न के मूल्यों में हुई वृद्धि का विरोध करने हेतु प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे। इसके परिणामस्वरूप प्रदर्शनकारियों के एक जत्थे ने पुलिस पर हमला कर दिया। पुलिस ने गोली चलाई। पुलिस की गोलीबारी से सारे लोग उत्तेजित हो गये और पुलिस पर आक्रमण कर दिया। सिपाही भागकर थाने में घुस गये तो भीड़ ने थाने मे भी आग लगा दी। जो सिपाही भागने के प्रयास में बाहर आये उन्हें भीड़ ने मार डाला और पुनः आग में फेंक दिया।
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इस हिंसक घटना में 22 पुलिसकर्मी मारे गये। गांधीजी इस घटना की खबर से अत्यन्त दुःखी हुए तथा उन्होंने तुरन्त आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी। । फरवरी 1922 में बारदोली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें ऐसी सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गयी, जिनसे कानून का उल्लंघन होता हो। साथ ही प्रस्ताव में कई रचनात्मक कार्यों को प्रारम्भ करने की घोषणा भी की गयी।

इनमें खादी को लोकप्रिय बनाना, राष्ट्रीय स्कूलों की स्थापना, शराबबंदी के समर्थन में अभियान, अस्पृश्यता उन्मूलन हेतु अभियान तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता को बल देने जैसे कार्यक्रम शामिल थे। अनेक राष्ट्रवादी नेताओं यथा-सी.आर. दास, मोतीलाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस तथा जवाहरलाल नेहरू इत्यादि ने गांधीजी के आंदोलन वापस लेने के निर्णय से अपनी असहमति प्रकट की। ( मार्च 1922 में गांधीजी को गिरफ्तार कर 6 वर्ष के लिये जेल भेज दिया गया।
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गांधीजी ने इस अवसर पर एक ऐतिहासिक भाषण में कहा कि मैं यहां इसलिये आया हूं क्योंकि मुझे यह अहसास हुआ कि कानून के उल्लंघन एवं विचारपूर्वक हिंसा के लिये मैं प्रसन्न होकर यहां सजा पा सकता हूं, और मुझे लगा कि इस अवसर पर एक सच्चे नागरिक का यही प्रथम कर्तव्य है’।
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