भारत के बन्दरगाह

भारत के बन्दरगाह

भारत के बन्दरगाह

अंडमान निकोबार द्वीप समूह सहित देश की मगर 1517 किमी. लम्बी तटरेखा पर 13 बड़े और 200 मध्यम व कोरे बंदरगाह स्थित है। बड़े बंदरगाहों का नियंत्रण केन्द्र सरकार किया जाता है जबकि छोटे व मंझोले बंदरगाह संविधान की समवर्ती सूची में शामिल हैं, जिनका प्रबंधन एवं प्रशासन सम्बंधित राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। हमारे देश में पर्वी समुद्र तट पर स्थित बड़े बंदरगाह तूतीकोरिन, चेन्नई, एन्नौर विशाखापत्तनम, पारादीप, कोलकाता (हल्दिया डॉकयार्ड सहित) हैं, जबकि पश्चिमी तट पर स्थित बंदरगाहों में कांडला, मुम्बई, न्हावा शेवा, न्यू मंगलुरु, कोचीन तथा मार्मागाओ को शामिल किया जाता है। जून, 2010 से ‘पोर्ट ब्लयेर’ बंदरगाह को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सभी बंदरगाहों के क्षेत्राधिकार के साथ प्रमुख बंदरगाह घोषित कर दिया गया है। इस प्रकार, यह देश का 13वाँ प्रमुख बंदरगाह बन गया है। ये बड़े पत्तन कुल यातायात के लगभग तीन-चौथाई भाग का संचालन करते हैं।

भारत के  बन्दरगाह
भारत के बन्दरगाह

 

भारत के 13 बन्दरगाह

 1. कांडला  :::– गुजरात में कच्छ की खाडी के तट पर स्थित, यह एक ज्वारीय बंदरगाह है। यहाँ पर सरकार ने मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित किया है। उत्तर भारत को आपूर्ति करने वाला यह सबसे बड़ा बंदरगाह है।

2. मुंबई ::-  वर्ष-पर्यन्त खुला रहने वाला यह प्राकृतिक बंदरगाह व पत्तन प्राकृतिक कटान में सालसेट द्वीप पर स्थित है। यह देश का सबसे बड़ा बदरगाह है, जहाँ सर्वाधिक समुद्री यातायात किया जाता है। यहाँ से मुख्यतः सूती एवं ऊनी कपड़े, चमड़े का सामान, पेट्रोलियम, मैंगनीज, मशीन, इंजीनियरिंग सामान आदि का निर्यात किया जाता है।

 

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3. न्हावा शेवा (न्यू मुंबई) :::- इसका नया नामकरण जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह है। यह पूर्णतया यंत्रचालित बंदरगाह है, जो मुंबई के बंदरगाह पर दबाव को कम करने के लिए मुंबई के उत्तर में नवी मुंबई में आधुनिक शैली में विकसित किया गया है। इसे 1988-89 ई. में देश का 12वाँ बड़ा बंदरगाह घोषित किया गया। यह भारत का विशालतम कंटेनर पत्तन हैयह भारत का सबसे बड़ा कृत्रिम एवं आधुनिकतम बंदरगाह है। यहा बड़े पैमाने पर शुष्क मालों को चढ़ाने तथा उतारने के लिए यांत्रिक कंटेनर, बर्थ एवं सर्विस बर्थ की सुविधा प्रदान की जाती है।                                                                                 

4. मर्मुगोवा :::- गोवा के जुआरी नदी के ज्वारनदमुख (एस्चुअरी) में स्थित ग्रह बंदरगाह 1970 ई. तक देश का सबसे बड़ा  निर्यातकर्ता बंदरगाह था। यहाँ से ईरान को लौह अयस्क का निर्यात किया जाता है। जुआरी तथा मांडवी नदियों के परिवहन द्वारा इस बंदरगाह को लौह-अयस्क पहुँचाया जाता है। जापान को लौह-अयस्क का ही निर्यात होता रहा किंतु वर्तमान में मैंगनीज, सीमेंट, उर्वरक, कॉफी, नारियल, काजू, नमक (खनिज नमक) आदि का भी निर्यात होता है।  

5. न्यू मंगलौर  ::- मर्मुगोवा व कोचीन के मध्य कर्नाटक में स्थित यह बंदरगाह आकार की दृष्टि से अपेक्षाकृत छोटा है। यहाँ से मुख्यतया लौह-अयस्क (कर्नाटक की कुद्रेमुख खान से उपलब्ध), ग्रेनाइट, काजू, कहवा, लकड़ी, मछली, चंदन का तेल आदि का निर्यात होता है

6. कोचीन (कोच्चि)::-  इसे ‘अरब सागर की रानी’ (क्वीन ऑफ अरेबियन सी) के लोकप्रिय नाम से जाना जाता हैबेम्बनाड कयाल के मुहाने पर स्थित कोच्चि पत्तन एक प्राकृतिक पत्तन है। ‘पूरब का वेनिस’ कहा जाने वाला यह बंदरगाह केरल के मालाबार तट के बेम्बनाड कयाल में अवस्थित वेलिगंटन द्वीप  पर स्थित है।

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7.तूतीकोरिन ::- भारत के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर तमिलनाडु ( में स्थित है। 27 जनवरी, 2011 को तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलकर चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट कर दिया गया। श्री वी.ओ. चिदंबरनार पिल्लै ने 1906 ई. में प्रथम स्वदेशी भारतीय नौवहन सेवा तूतीकोरिन से कोलंबो के बीच शुरू की थी। केन्द्र सरकार ने तूतीकोरिन में नौसैनिक अड्डा बनाने की अनुमति दे दी है।

8.चेन्नई ::-  भारत के सर्वाधिक पुराने बंदरगाहों में से एक है। यह एक कृत्रिम पत्तन है, जिसे 1859 ई. में बनाया गया था। तट पर पानी की कमी रहने के कारण बड़े जलयान तट तक नहीं आ पाते थे, जिसे बाद में कृत्रिम रूप से गहरा किया गया, यहाँ से पेट्रोलियम उत्पाद, उवर्रक, लौह-अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, कोयला, मशीनें, सूती और रेशमी कपड़े, चमड़ा, रबड़, तम्बाकू, तेल, हल्दी आदि का आयात-निर्यात किया जाता है। मुंबई के बाद यह देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है।

9. ‘विशाखापत्तनम ::–  विशाखापत्तनम देश का सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक बंदरगाह है। यहाँ ‘डॉल्फिन नोज’ नामक पहाड़ी निकली हुई है जिससे यह बंदरगाह मानसून के झकोरों से बचा रहता है। यहाँ पोत निर्माण एवं उनकी मरम्मत की सुविधा उपलब्ध है। पिछले सात वर्षों से विशाखापत्तनम बंदरगाह यातायात संचालन में सर्वोच्च स्थान पर है। यहाँ से लौह-अयस्क, पेट्रोलियम उत्पाद, उवर्रक, लकड़ी, कोयला, चमड़ा आदि का आयात-निर्यात किया जाता है। यह सबसे गहरा बंदरगाह माना जाता है

10. पाराद्वीप :: कटक (ओडिशा) से 100 किमी. दूर महानदी के डेल्टाई क्षेत्र में स्थित है। यहाँ से मुख्यतया जापान को कच्चा लोहा व मैंगनीज निर्यात किया जाता हैं। यह निर्यात-प्रधान बंदरगाह है। इसका पोताश्रय सबसे गहरा है। इसे 3 पोर्ट बनाया जा रहा है। 

 

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11. कोलकाता-हल्दिया ::: कोलकाता बंदरगाह सागर तट से 148 किमी. अन्दर हुगली नदी के किनारे है। यह एक नदीय पत्तन है। कांडला की भांति यह भी एक ज्वारीय पत्तन है। इस बंदरगाह पर जल के स्तर को बढ़ाने के लिए फरक्का बैराज से जलापूर्ति की जाती है। इस पत्तन का समुद्र स्थित पोताश्रय ‘डायमंड हार्बर’ है। कोलकाता बंदरगाह के भार को कम करने के लिए हल्दिया बंदरगाह का विकास किया गया है क्योंकि कोलकाता में अवसाद (गाद) जमा हो जाने की समस्या अधि क प्रभावी रहती है। हल्दिया कोलकाता से 105 किमी. दूर स्थित है। यह एक पूर्णतया प्राकृतिक बंदरगाह है। हल्दिया में पूर्णत: सुसज्जित कोयला एवं तेल कंटेनर की सुविधा उपलब्ध है।

12. एन्नौर :-:ह तमिलनाडु के तट पर चेन्नई से 24 किमी. उत्तर में स्थित है। इसका परिचालन 2001 से शुरू हुआ। यह देश का सबसे बड़ा कम्प्यूटराइज्ड बंदरगाह तथा देश का प्रथम पब्लिक कंपनी (मिनीरत्न) बंदरगाह है। यह देश का प्रथम निजी क्षेत्र में स्थापित बंदरगाह है। 21 फरवरी, 2014 को एन्नौर बंदरगाह का नया नामकरण कामराज पोर्ट लिमिटेड बंदरगाह किया गया।

13.पोर्ट ब्लेयर :::-अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह को केन्द्र सरकार ने 1 जून, 2010 से बड़े बंदरगाहों की श्रेणी में किया। इससे देश में बड़े बंदरगाहों कीकुल संख्या अब 13 हो गई है। इन बंदरगाहों का प्रबंधन मेजर – पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम के अंतर्गत ‘पोर्ट टस्ट ऑफ इंडिया वा किया जाता है।

 

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