भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai | What Is Tsunami In Hindi

भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकम्प भू-पृष्ठ पर होने वाला आकस्मिक कंपन है जो भूगर्भ में चट्टानों के लचीलेपन या समस्थिति के कारण होनेवाले समायोजन का परिणाम होता है। यह प्राकृतिक व मानवीय दोनों ही कारणों से हो सकता है। प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी क्रिया, विवर्तनिक अस्थिरता, संतुलन स्थापना के प्रयास, वलन व भ्रंशन प्लूटोनिक घटनाएं व भूगर्भिक गैसों का फैलाव आदि शामिल किए जाते है। रोड के ‘प्रत्यास्थ-पुनश्चलन सिद्धांत’ के अनुसार प्रत्येक चट्टान) में तनाव सहने की एक क्षमता होती है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

उसके पश्चात् यदि तनाव बल और अधिक हो जाए तो चट्टान टूट जाता है तथा टूटा हुआ भाग पुनः अपने स्थान पर वापस आ जाता है। इस प्रकार चट्टान, में भ्रंशन की घटनाएं होती है एवं भूकम्प आते है।  कृत्रिम या मानव निर्मित भूकम्प मानवीय क्रियाओं की अवैज्ञानिकता के परिणाम होते हैं। इस संदर्भ में विवर्तनिक रूप से अस्थिर प्रदेशों में सड़कों, बांधों, विशाल जलाशयों आदि के निर्माण – का उदाहरण लिया जा सकता है। इसके अलावा परमाणु परीक्षण भी भूकम्प के लिए उत्तरदायी हैं।  भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकम्प आने के पहले वायुमंडल में ‘रेडॉन’ गैसों की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। अतः इस गैस की मात्रा में वृद्धि का होना उस प्रदेश विशेष में भूकम्प आने का संकेत होता है। जिस जगह से भूकम्पीय तरंगें उत्पन्न होती हैं उसे ‘भूकम्प मूल’ (Focus) कहते है तथा जहाँ सबसे पहले भूकम्पीय लहरों का अनुभव किया जाता है उसे भूकम्प केन्द्र (Epi-centre) कहते हैं। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकम्प आने के पहले वायुमंडल में ‘रेडॉन’ गैसों की मात्रा में वद्धि हो जाती है। अतः इस गैस की मात्रा में वृद्धि का होना उस प्रदेश विशेष में भूकम्प आने का संकेत होता है। जिस जगह से भूकम्पीय तरंगें उत्पन्न होती हैं उसे ‘भूकम्प मूल’ (Focus) कहते हैं तथा जहाँ सबसे पहले भूकम्पीय लहरों का अनुभव किया जाता है उसे भूकम्प केन्द्र (Epi-centre) कहते हैं। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकम्पमूल की गहराई के आधार पर भूकम्पों को तीन वर्गों में रखा जाता है

  1.  सामान्य भूकम्प :- 0-50 किमी 
  2.  मध्यवर्ती भूकम्प :- 50-250 किमी.
  3.  गहरे या पातालीय भूकम्प- ‘250-700 किमी.

भूकम्प के इस दौरान जो ऊर्जा भूकम्प मूल से निकलती है, उसे ‘प्रत्यास्थ ऊर्जा’ (Elastic Energy) कहते हैं। भूकम्प के दौरान कई प्रकार की भूकम्पीय तरंगें (Seismic Waves) उत्पन्न होती हैं जिन्हें तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

 

प्राथमिक अथवा लम्बात्मक तरंगें (Primary or Longitudinal Waves)

इन्हें ‘P’ तरंगें भी कहा जाता है। ये अनुदैर्ध्य तरंगें हैं एवं ध्वनि तरंगों की भांति चलती हैं। तीनों भूकम्पीय लहरों में सर्वाधिक तीव्र गति इसी की होती है। यह ठोस के साथ-साथ तरल माध्यम में भी चल सकती है, यद्यपि ठोस की तुलना में तरल माध्यम में इसकी गति मंद हो जाती है। ‘S’ तरंगों की तुलना में इसकी गति 66% अधिक  होती है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

अनुप्रस्थ अथवा गौण तरंगें (Secondary or Transverse Waves): 

इन्हें “S’ तरंगें भी कहा जाता है। ये प्रकाश तरंगों की भांति चलती हैं। ये सिर्फ ठोस माध्यम में ही चल सकती है, तरल माध्यम में प्रायः लुप्त हो जाती है। चूंकि ये पृथ्वी के क्रोड़ से गुजर नहीं पाती, अत: ‘S’ तरंगों से पृथ्वी के क्रोड़ के तरल होने के संबंध में अनुमान लगाया जाता है। ‘P’ तरंगों की तुलना में इसकी गति 40% कम होती है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

धरातलीय तरंगें (Surface or Long Period Waves):

इन्हें ‘L’ तरंगें भी कहा जाता है। ये पृथ्वी के ऊपरी भाग को ही प्रभावित करती है। ये अत्यधिक प्रभावशाली तरंगें हैं एवं सबसे लंबा मार्ग तय करती है। इनकी गति काफी धीमी होती है एवं यह सबसे देर में पहुँचती है, परंतु इनका प्रभाव सबसे विनाशकारी होता है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

‘P’ और ‘S’ लहरें युग्म में चलती हैं। P-S की गति सर्वाधिक होती है; Pg-Sg की गति न्यूनतम होती है जबकि P* – S* की गति दोनों के मध्य होती है। इन तरंगों की गति तथा भ्रमण-पथ के आधार पर पृथ्वी के आंतरिक भाग के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

जिन संवेदनशील यंत्रों द्वारा भूकम्पीय तरंगों की तीव्रता मापी जाती है उन्हें ‘भूकम्प लेखी’ या ‘सीस्मोग्राफ’ (Seismograph) कहते हैं, इसके तीन स्केल (scale) हैं

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 रॉसी – फेरल स्केल (Rossy Feral Scale) :

इसके मापक 1 से 11 रखे गए थे। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

मरकेली स्केल (Mercali Scale) :

यह अनुभव प्रधान स्केल है। इसके 12 मापक हैं। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

रिक्टर स्केल (Richter Scale) :

यह गणितीय मापक (Logarithmic) है, जिसकी तीव्रता 0 से 9 तक होती है और रिक्टर स्केल पर प्रत्येक अगली इकाई पिछली इकाई की। तुलना में 10 गुना अधिक तीव्रता रखता है। समान भूकम्पीय तीव्रता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को ‘समभूकम्पीय रेखा’ या ‘भूकम्प समाघात रेखा’ (Iso- .Lines) कहते हैं। एक ही समय पर आनेवाले भकम्पीय क्षेत्रों को मिलाने वाली रेखा होमोसीस्मल लाइन (Homoseismal Lines) कहलाती है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकम्पों का विश्व वितरण :

विश्व में भूकम्पों का वितरण उन्हीं क्षेत्रों से संबंधित है जो भूगर्भिक रूप से अपेक्षाकृत कमजोर तथा अव्यवस्थित हैं। भूकम्प के ऐसे क्षेत्र मोटे तौर पर दो
विवर्तनिकी घटनाओं से संबंधित है- भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

(1) प्लेट के किनारा क सहारे तथा भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

(2) भ्रंशों के सहारे। विश्व में भूकम्प की कुछ विस्तृत पेटियाँ इस प्रकार हैं.

 प्रशान्त महासागरीय तटीय पेटी (Circum Pacific Belt) :

यह विश्व का सबसे विस्तृत भूकम्प क्षेत्र है जहाँ पर सम्पूर्ण विश्व के 63% भूकम्प आते हैं। इस क्षेत्र में चिली, कैलिफोर्निया, अलास्का, जापान, फिलीपींस, न्यूजीलैंड आदि आते हैं। यहाँ भूकम्प का सीधा संबंध प्लेटीय अभिसरण, भूपर्पटी के चट्टानी संस्तरों में भ्रंशन तथा ज्वालामुखी सक्रियता से है।

 मध्य महाद्वीपीय पेटी (Mid-continental Belt) :

इस पेटी में विश्व के 21% भूकम्प आते हैं। यह प्लेटीय अभिसरण का क्षेत्र है एवं इसमें आनेवाले अधिकांश भूकम्प संतुलनमूलक तथा भ्रंशमूलक हैं। यह पट्टी केप वर्डे से शुरू होकर अटलांटिक महासागर, भूमध्यसागर को पारकर आल्पस काकेशस, हिमालय जैसी नवीन पर्वतश्रेणियों से होते हए दक्षिण की ओर मुड़ जाती है और दक्षिणी पूर्वी द्वीपों में जाकर प्रशान्त महासागरीय पेटी में मिल जाती है। भारत का भूकम्प क्षेत्र इसी पेटी के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है।

मध्य अटलांटिक पेटी (Mid-Atlantic Belt):

यह मध्य अटलांटिक कटक में स्पिटबर्जन तथा आइसलैंड (उत्तर) से लेकर बोवेट द्वीप (दक्षिण) तक विस्तृत है। इनमें सर्वाधिक भूकम्प भूमध्यरेखा के आसपास पाये जाते हैं। सामान्यत: इस पेटी में कम तीव्रता के भूकम्प आते हैं एवं इनका संबंध प्लेटों के अपसरण व रूपांतरण भ्रंशों से है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

सुनामी (Tsunami)

‘स्यू-ना-मी’ जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है तट पर आती समुद्री लहरें। इनका ज्वारीय तरंगों से कोई संबंध नहीं होता। ये वस्तुत: बहुत लंबी व कम कंपन वाली समुद्री लहरें हैं| भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

जो महासागरीय भूकम्पों के प्रभाव से महासागरों में उत्पन्न होती हैं। सुनामी लहरों के साथ जल की गति संपूर्ण गहराई तक होती है, इसलिए ये अधिक प्रलयकारी होती हैं। सुनामी का तरंग दैर्ध्य 160 किमी. तक भी देखा गया है, साथ ही इनकी गति अत्यधिक होती है जो कभी-कभी 650 किमी. प्रति घंटा भी देखी गई है। खुले सागरों में इन तरंगों की ऊँचाई अधिकतम 1 मी. की होती है, परंतु जब ये तटवर्ती उथले जल क्षेत्र में प्रवेश करती है तो इनकी ऊंचाई में असामान्य वृद्धि हो जाती है जिससे अत्यल्प समय में ही महान विनाश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

सुनामी लहरों की दृष्टि से प्रशांत महासागर सबसे खतरनाक स्थिति में है। महासागरीय प्लेटों  के अभिसरण क्षेत्र में ये सर्वाधिक शक्तिशाली होती है। इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 26 दिसंबर, 2004 को हिंद महासागर के तली के नीचे उत्पन्न सुनामी लहरें भारतीय प्लेट के बर्मी प्लेट के नीचे क्षेपण का परिणाम थी। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.9 थी जिसके कारण प्रलयकारी सुनामी लहरों की उत्पत्ति हुई। इंडोनेशिया, मलेशिया, श्रीलंका व भारत समेत कुल 11 देश इन लहरों की चपेट में आए। भारत में तमिलनाडु का नागपट्टनम जिला सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र था। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

जापान के उत्तर-पूर्वी तट पर 11 मार्च, 2011 को आए सदी के सबसे शक्तिशाली भूकम्प के बाद सुनामी की लहरें उठने से भारा विनाश हुआ।रिक्टर स्केल पर भूकम्प की तीव्रता 9.0 थी। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकम्प का केन्द्र जापान के मियागी प्रांत की राजधानी सेन्दई से 130 किमी. पूर्व में और जापान की राजधानी टोकियो से 373 किमी. दूर पूर्वोत्तर में समुद्र तल से 24.4 किमी. की गहराई में था। सेन्दई हवाई अड्डा सुनामी की लहरों से पूरी तरह डूब गया। सुनामी लहरों में घर, कारें और छोटी-बड़ी नौकाओं सहित मियागी में एक वड़ा पोत वह गया। इस प्राकृतिक आपदा से जापान में हजारों लोग मारे गये एवं भारी मात्रा में आर्थिक क्षति हुई। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

जापान में भूकंप  और सूनामी के चलते ‘फुकुशिमा-दाइची परमाणु संयंत्र’ में विस्फोट के चलते रेडियोधर्मी रिसाव होने लगा। यह यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु हादसे के बाद का सबसे भयानक हादसा माना गया। परमाणु रेडिएशन की शक्ति मापने की इकाई रेम्स’ कहलाती है। इसके पैमाने पर रेडिएशन का लेवल 7 था। फुकुशिमा-दाइची संयंत्र में 14 मार्च, 2011 को हाइड्रोजन विस्फोट भी हुआ जिस कारण विश्व इतिहास में पहली बार जापान ने  परमाणु आपातकाल की घोषणा की। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

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जापान में आए शक्तिशाली भूकम्प ने वहां तो तबाही मचाई ही पृथ्वी को भी अपनी धुरी से लगभग 4 इंच खिसका दिया जिससे इसकी गति 1.6 माइक्रो सेकण्ड बढ़ गई। पृथ्वी के खिसकने से मौसम चक्र में भी बदलाव . आ सकता है। ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में अवस्थित होने के कारण जापान भूकम्प के दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है। यह प्रशान्त महासागरीय प्लेट व जापान सागर प्लेट के अभिसरण क्षेत्र में स्थित है जिससे यहां ज्वालामुखी व भूकम्प की घटना सामान्य है, परंतु मार्च 2011 का भूकम्प व सुनामी ने जापानी अर्थव्यवस्था व जनजीवन को बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

  डार्ट (डीप ओशन असेसमेन्ट एंड रिपोर्टिंग ऑफ सुनामी) एक खास तकनीक है, जिसके माध्यम से सुनामी का पता लगने के बाद उचित जगहों पर फौरन सूचनाएं भेजी जाती हैं। डॉर्ट के दो प्रमुख हिस्से होते हैं-सुनामीटर और सिग्नलिंग एण्ड कम्युनेकेटिंग उपकरण। ‘सुनामीटर’ से समुद्र तल में आई भूकम्प की तीव्रता की जानकारी मिलती है, जबकि ‘सिग्नलिंग एण्ड कम्युनेकेटिंग उपकरण’ के माध्यम से सुनामी के सभी संभावित क्षेत्रों में खतरे की चेतावनी भी दी जाती है। सुनामी वार्निंग सेन्टर से ये दोनों यंत्र एक खास नेटवर्क के माध्यम से जुड़े होते हैं।  भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

जैसे ही समुद्र के अन्दर कम्पन्न हाती है, तरंगों की सूचनाएं तत्काल ‘सुनामी वार्निंग सेन्टर’ को प्राप्त हो जाती है। चूंकि यह केन्द्र उपग्रह से जुड़ा होता है। इसीलिए पूरी दुनिया को तत्काल इस भयानक हलचल की जानकारी मिल  जाती है। वर्तमान समय में सुनामी के चेतावनी तंत्र घटना के 8 घंटे पहले इसकी सूचना देते हैं। वैज्ञानिक विश्व के 14 देशों में कॉस्मिक रे डिटेक्टर्स स्थापित करने की दिशा में सक्रिय है। इनसे आपदा के संबंध में 20 से 24 घंटे पहले चेतावनी दी जा सकती है। भारत में तटीय इलाकों में सुनामी की पूर्व सूचना देने के लिए उन्नत एक्सपर्ट डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) विकसित किया है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

यह प्रणाली उत्कृष्ट सूचना प्रौद्योगिकी, दृश्य, भूअंतरिक्ष और दूरसंवेदी प्रौद्योगिकियों पर आधारित है। इसमें भूकंप केन्द्रों, बॉटम प्रेशर रिकॉर्डर (बीपीआर), ज्वार-भाटा की चेतावनी केन्द्रों के नेटवर्क को शामिल किया गया है। इससे सुनामी की निगरानी के साथ-साथ भूकंपों की पहचान भी की जा सकेगी तथा संबंधित सरकारी विभागों और सुनामी से प्रभावित होने वाले समुदाय को सलाह भी दी जा सकेगी। इस कार्य के लिए अत्याधुनिक संचार तकनीक का उपयोग किया जाएगा जिसे परिस्थितियों पर आधारित डेटाबेस और डिसिजन सपोर्ट सिस्टम का सहयोग मिलेगा। अक्टूबर 2007 से ही भारत ने विश्व की सबसे आधुनिक सुनामी चेतावनी प्रणाली प्रारंभ कर दी है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

इस प्रणाली से मिलने वाली जानकारी भारत पड़ोसी देशों को भी उपलब्ध कराएगा। यह प्रणाली भूकम्प की तीव्रता, गहराई और केन्द्र बताएगी। हिन्द महासागर में हर तरह की भूकम्पीय हलचल को इससे सिर्फ 20 मिनट में आकलन कर निकटवर्ती क्षेत्रों में सूचना उपलब्ध कराना संभव हो जाएगा। यह प्रणाली भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (INCOIS) हैदराबाद में लगाई है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai | What Is Tsunami In Hindi
भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai | What Is Tsunami In Hindi

 

भारत के भूकम्पीय क्षेत्र व आपदा प्रबंधन

हिमालय का पर्वतीय भाग एवं उत्तर का मैदानी भाग भूकम्प की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र है क्योंकि भारतीय प्लेट, यूरेशियन प्लेट को निरंतर धक्का दे रही है। इसलिए यह भाग भू-संतुलन की दृष्टि से काफी अस्थिर है एवं अक्सर यहाँ पर भकम्प आते रहते हैं। पिछली एक सदी में इस क्षेत्र में अनेक बड़े भूकम्प आ चुके हैं जिनमें असोम, कांगड़ा, बिहार व नेपाल, उत्तरकाशी में आए भूकम्प शामिल हैं। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

18 सितम्बर, 2011 के सिक्किम में आये  रिक्टर स्केल पर 6.8 तीव्रता वाली शक्तिशाली भूकम्प ने भयानक तबाही मचाई। 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकम्प आया। भूकम्प का अधिकेन्द्र (लामगुंज), नेपाल से 38 किमी. दूर था। 1934 ई. के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया जिसमें 8,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।  भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

हाल के वर्षों में दक्षिणी प्रायद्वीपीय पठार, जो कि सामान्यतः भू-गर्भीय रूप से स्थिर समझा जाता रहा है एवं भूकम्प के कम संभावित प्रदेशों के अंतर्गत आता है, वहाँ भी भूकम्प आ गया है। इस संदर्भ में 1993 ई. में महाराष्ट्र के लातूर भूकम्प का उदाहरण लिया जा सकता है। इससे प्रायद्वीपीय पठार के भू-गर्भीय स्थिरता की अवधारणा को झटका लगा। अब यह माना जाने लगा है कि भारत का कोई भी प्रदेश, भूकम्प रहित नहीं है, क्योंकि भारतीय प्लेट के उत्तरी खिसकाव के कारण एवं उससे उत्पन्न दबाव जनित बल से पठारी भाग के आपका भागों में ऊर्जा तरंगों का प्रभाव बढ़ा है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

जब यह ऊर्जा बाहर विनिर्मुक्त होने का प्रयास करता है तो भारतीय प्लेट में भ्रंश निर्माण की स्थितियाँ बनती है। यही कारण है कि भूगर्भिक रूप से स्थिर जाने वाले भारतीय प्लेट में भी अनेक भ्रंश उत्पन्न हो गये हैं एवं उन क्षेत्रों में बड़े भूकम्प आने की आशंका रहती है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

सन् 2001 में कच्छ के भुज क्षेत्र में आए भूकम्प का मुख्य कारण, इसका सर्वाधिक भूकम्प संभावित क्षेत्र (Zone -V) में बसा होना है। साथ ही इस क्षेत्र में माइक्रो प्लेटों के अंतरा-प्लेटीय गतिविधियों के कारण दबाव जनित बल उत्पन्न होता रहता है। भ्रंश क्षेत्र में बसे होने से और भारतीय प्लेट के उत्तरी खिसकाव के कारण भ्रंशों में फैलाव होने से यहाँ अत्यधिक प्रभावी भूकम्प आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.9 थी। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

मानवीय प्रभाव के कारण भी भारत में कई बार भूकम्प आ जाते हैं। बड़े बांध, समस्थितिजनक या संतुलनमूलक बल उत्पन्न करते हैं जिनसे जल-संग्रहण क्षेत्र में या उसके आस-पास भूकम्प आने की आशंका बढ़ जाती है। 1967 ई. में महाराष्ट्र के कोयना में आया भूकम्प इसका उदाहरण है। कई बार परमाणु परीक्षण के कारण भी भूकम्प आते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क निर्माण करते समय चट्टानी संरचना का ध्यान नहीं रखने के कारण भी भू-स्खलन व भूकम्प की घटनाएँ बढ़ी हैं।

भारत में भूकम्प के संबंध में पर्याप्त सुरक्षोपाय नहीं होने के कारण रिक्टर स्केल पर कम तीव्रता के भूकम्प भी जान-माल की भारी क्षति करते हैं। जहाँ जापान में सामान्य रूप से रिक्टर स्केल पर 7 तीव्रता के भूकम्प भी अधिक हानि की स्थिति उत्पन्न नहीं  वहीं भारत में 5 से अधिक तीव्रता के भूकम्प भी गंभीर संकट उत्पन्न कर देते हैं। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

अवैज्ञानिक निर्माण कार्य तथा कच्चे व उपस्तरीय मकानों का निर्माण भूकम्प के कारण उत्पन्न होने वाले संकट को बढ़ा देते हैं जिससे जन-धन की काफी हानि होती है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बंगलौर के प्रो. विनोद कुमार गौड़ का यह सुझाव रहा है कि सभी भूकम्पीय संभावना वाले क्षेत्रों में आपदा के वैज्ञानिक मूल्यांकन की आवश्यकता हैं। इन क्षेत्रों में भूमि उपयोग एवं विविध तरह के निर्माण कार्यों में भूकम्प की आशंका एवं उसके खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त ध्यान दिया जाना व नियोजन करना अपेक्षित हैं। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

जन-जागरूकता व शैक्षिक अभियानों के द्वारा भूकम्प के प्रति लोगों को सचेत किया जा सकता है। अग्रिम चेतावनी के द्वारा सघन क्षेत्रों को तुरंत खाली कराया जा सकता है एवं यातायात संचार व शक्ति प्रणालियों  को बंद किया जा सकता है। भूकम्प विज्ञान में सेंसर डिजॉयनिंग, टेलीमट्री ऑन लाइन कंप्यूटिंग व बेहतर संचार जैसे नवीन विधियों का वैज्ञानिक उपयोग कर भूकम्प से होने वाली जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है। भूकंप क्या है | Bhukamp Kya Hai

यद्यपि देश में ऐसी कोई प्रणाली नहीं है, जिसके आधार पर भूकम्प की पूर्व सूचना मिल सके, परंतु अब कुछ शोधों से भूकम्प आने से पूर्व की स्थिति का आकलन करना संभव हो रहा है। हल्के झटकों वाले भूकम्प को सिस्मोफोन, माइक्रोफोन एवं अन्य दुर्गम उपकरणों से मापा जा सकता है।

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कुओं के जलस्तर में आए बदलाव, कुओं में तरंगों के उठने एवं तापमान के अध्ययन से, पशुओं के व्यवहार में आए बदलाव और भूकम्प के मुख्य केंद्र बिंदु में हुई भू-गर्भीय हलचलों से भूकम्प का आकलन किया जा सकता है। ऑटोनेस वॉटर लेवल रिकॉर्डर हर 15 मिनट के अंतराल में टेलीमट्री नेटवर्किंग के माध्यम से पानी में होने वाली हलचल की जानकारी इंटरनेट पर दर्शाएगा, जिसके आधार पर भू-वैज्ञानिक भूकम्प कि भविष्यवाणी को संभव मान रहे है। इसके अध्ययन के द्वारा 1 से 3 घंटे पहले भूकम्प की सूचना मिलना संभव हो पाएगा।

देश के भू-गर्भीय हलचल से भी भूकम्प का आकलन किया जा सकता है जो भूकम्पीय क्षेत्रों की बेहतर समझ पर निर्भर है। वर्तमान समय में हिमालय क्षेत्र के भूगर्भिक संरचना व प्लेट विवर्तनिक क्रिया के संबंध में पर्याप्त जानकारी हासिल हो चुकी  है एवं भारत के अन्य क्षेत्रों में भी भूकम्प के आशंका वाले क्षेत्रों में पर्याप्त जानकारी सुलभ हुई है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के दिशा निर्देशन में भूकम्पीय मानचित्रों को अद्यतन बनाने का प्रयास किया गया है

इस मानचित्र में भारत में भूकम्प की आशंका वाले क्षेत्रों के निर्धारण में अधिक परिशुद्धता लाने के लिए पहले से उपलब्ध भूगर्भिक एवं विवर्तनिक आंकड़ों का पुनरीक्षण किया जा रहा है। भूकम्प के जोखिमों के अध्ययन व मूल्यांकन हेतु स्थलाकृतिक मानचित्रों एवं उपग्रह सर्वेक्षणों का भी सहारा लिया जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन आयोग’ का गठन शीर्ष निकाय के रूप में किया गया है

, जो भूकम्प समेत विभिन्न आपदाओं के प्रबंधन हेतु तत्कालीन व दीर्घकालीन रणनीति तैयार करता है। इसके राजनीतिक प्रशासनिक व तकनीकी तीनों अलग-अलग विभाग है, जो अपने-अपने कार्यों को विशेष रूप से अंजाम देने में लगे हैं। भूकम्प की आशंका वाले क्षेत्रों में पूर्व सुरक्षोपाय अपनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

वर्तमान समय में महाराष्ट्र ही एक मात्र ऐसा प्रांत है जहाँ भूकम्प के जोखिम को कम करने हेतु मलबा हटाने वाले वाहनों से सुसज्जित बचाव दल, चिकित्सा वाहनों, उपग्रह संचार आधारित निगरानी कक्ष आदि की व्यवस्था है। 2001 ई. में भुज में आए भूकम्प में जान-माल की अधिक हानि का मुख्य कारण भूकम्प के जोखिम को कम करने के लिए पर्याप्त प्रबंध का नहीं होना था।

अतः तत्कालीन के साथ-साथ दीर्घकालीन रक्षोपाय पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जापान से तकनीकी संबंधी मदद भी ली जा रही है। भूकम्परोधी मकानों के निर्माण एवं आपदा प्रबंधन की पर्याप्त व्यवस्था के द्वारा भूकम्प से हानि की आशंकाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

भूकम्पीय जोनों का नया वर्गीकरण

भारतीय मानक ब्यूरो ने देश के 54% क्षेत्र को नए मानकों का निर्धारण कर 5 के बजाय 4 भूकम्पीय क्षेत्र (सिस्मिक जोन) में बांट दिया है। ‘वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ ने भी 21 सितम्बर, 2010 को इसकी पुष्टि कर दी है। वस्तुतः लातूर भूकम्प के बाद से ही यह महसूस किया जा रहा था कि भारत में रिक्टर स्केल के हिसाब से भूकम्पीय क्षेत्रों का निर्धारण ठीक नहीं है।

वस्तुत: रिक्टर स्केल भूकम्प की ऊर्जा के आधार पर बनाया गया है जिसे यह पता नहीं चलता है कि भूकम्प का पृथ्वी के सतह पर क्या असर होता है। इससे भूकम्प के विनाशकारी प्रभाव को मापना मुश्किल हो जाता है। नए स्केल यानि ‘मोडिफाइड इंटेंसिटी स्केल’ (M.M. Scale) पर आधारित नए बंटवारे में देश में केवल 4 ही सिस्मिक जोन रह गए हैं। एम.एम. स्केल का आधार भूकम्प की वजह से पृथ्वी की सतह पर होने वाला असर है। देश के नए भूकम्पीय क्षेत्र मानिचत्र में अब जोन-1 समाप्त हो गया है और केवल जोन 2, 3, 4 और 5 रह गए हैं।

 

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