महाजनपद

महाजनपद

महाजनपद

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में एक ओर जहाँ धार्मिक क्रांति का अत्याधिक विस्तार हुआ वहीं दूसरी ओर धार्मिक क्रांति के साथ-साथ लोगों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में अत्यधिक परिवर्तन हुए। लोहे के आगमन के फलस्वरूप अब कृषि कार्य व्यवस्थित ढंग से होने लगा, जिसके कारण लोगों में स्थायित्व की भावना पनपने लगी थी एवं छोटे-छोटे कबीले राज्य बनते जा रहे थे। बद्ध के समय तक पहुँचते-पहुँचते जन का अत्यधिक रूपांतरण हो चुका था और जनपदों भी का जन्म हो चुका था। 

बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में 16 महाजनपदों का वर्णन मिलता है तथा भगवती सूत्र (जैनग्रंथ) में भी 16 राज्यों का उल्लेख किया गया है। भगवतीसूत्र की सूची और अंगुत्तर निकाय (बौद्ध ग्रंथ) की सूची में कुछ अंतर है।

अंगुत्तर निकाय में 16 महाजनपदों का उल्लेख हुआ है, जिनमें दो प्रकार के राज्य थे।

  •  राजतंत्र : इनमें राज्य का अध्यक्ष राजा होता था।
  •  गणतंत्र : ऐसे राज्यों का शासन राजा द्वारा न होकर गण/संघ द्वारा होता था। इस प्रकार के राज्य वज्जि व मल्ल थे।

महाजनपद, राजाओं के द्वारा शासित थे, परन्तु कुछ महाजनपदों में पृथक शासन व्यवस्था थी। जिन्हें गणसंघ कहा जाता था। इन गण संघों में एक से अधिक शासक होते थे, प्रत्येक को राजा कहा जाता था। अधिकांश राज्य विध्य के उत्तर में थे और पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत से बिहार तक फैले हुए थे। इनमें मगध, कोशल, वत्स और अवन्ति अधिक शक्तिशाली थे।

अंग जनपद में बिहार का आधुनिक मुंगेर और भागलपुर जिला शामिल था। जिसकी राजधानी चम्पा थी। मगध जनपद में आधुनिक पटना व गया जिले और शाहाबाद का कुछ भाग सम्मिलित था। मगध का उल्लेख सर्वप्रथम अथर्ववेद में मिलता है। यद्यपि ऋग्वेद में मगध का उल्लेख नहीं मिलता, तथापि कीकट (किरात) नामक जाति व इसके शासक प्रमगंद का उल्लेख मिलता है, जिसकी पहचान मगध से की गई है।

गंगा के उत्तर में वर्तमान के तिरहुत प्रमंडल में वज्जियों का राज्य आठ जनों का संघ था। जिनमें सबसे प्रबल लिच्छवि थे। इनकी राजधानी वैशाली थी। जिसकी पहचान आधुनिक वैशाली जिले के बसाढ़ नामक गाँव से की जाती है। इसके पश्चिम में काशी जनपद था, जिसकी राजधानी वाराणसी थी। आरम्भ में काशी सबसे शक्तिशाली राज्य था। परन्तु बाद में उसने कोशल की शक्ति के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।

महाजनपद
महाजनपद

कोशल जनपद में पूर्वी उत्तर प्रदेश का भाग शामिल था। जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी। इसकी पहचान उत्तर प्रदेश के गोंडा और बहराइच जिलों की सीमा पर स्थित सहेत-महेत स्थान से की जाती है। महत्वपूर्ण नगर अयोध्या भी कोशल के अन्तर्गत ही आता था, जिसका सम्बंध रामकथा से जोड़ा जाता है। कोशल में शाक्यों का कपिलवस्तु गणराज्य भी सम्मिलित था। शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के अतिरिक्त दूसरी राजधानी की पहचान आधुनिक बस्ती जिले के पिपरहवा नामक स्थान से की गई है। कोशल के समीपस्थ में मल्लों का गणराज्य था। जिनकी राजधानी कुशीनारा थी। यहाँ बुद्ध की मत्यु हुई थी। कुशीनारा की पहचान देवरिया जिले के कसिया नामक स्थान से की गई है।

बुद्धकालीन प्रमुख गणराज्य

बुद्ध काल में गंगा घाटी में 10 गणराज्यों के अस्तित्व के प्रमाण मिलते थे। जो निम्नलिखित हैं

कपिलवस्त के शाक्य : यह गणराज्य नेपाल की तराई में स्थित था। इस गणराज्य की पहचान नेपाल में स्थित आधुनिक तिलौराकोट से की गई है। कुछ विद्वान इसकी पहचान उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर व बस्ती जिले के पिपरहवा नामक स्थान से करते हैं। बुद्ध का जन्म इसी गणराज्य में हुआ था।

सुमसुमार पर्वत के मग्ग : सुमसुमार पर्वत का समीकरण मिर्जापुर जिले में स्थित वर्तमान चुनार से किया गया है। यहाँ वत्सराज उदयन का पुत्र बोधि निवास करता था।

केसपुत्त के कालाम : यह गणराज्य कोशल के पश्चिम में स्थित था। यह गणराज्य सुल्तानपुर जिले के कुंडवार से लेकर पालिया नामक स्थल तक विस्तृत था। अलार कालाम नामक आचार्य इसी गणराज्य के थे।

अलकप्प के बुलि : यह गणराज्य आधुनिक बिहार में शाहाबाद, आरा व मुजफ्फरपुर जिलों के बीच स्थित था। इसकी राजधानी वेठ द्वीप (बेतिया) थी।

 रामग्राम के कोलिय : यह शाक्य गणराज्य के पर्व में इसकी पहचान वर्तमान गोरखपुर जिले में स्थित राम की गई है।

पावा के मल्ल : पावा आधुनिक देवरिया जिले में स्थित पडरौना नामक स्थल था। पावा के मल्लों ने एक नया संसद भवन बनवाया, जिसे उत्भटक कहते थे। बुद्ध ने इस भवन का उद्घाटन किया था। मल्ल गणतंत्र में आनंद व अनिरूद्ध नामक दो प्रसिद्ध व्यक्तियों का जन्म हुआ था।

कशीनारा के मल्ल : कुशीनारा की पहचान आधुनिक देवरिया नामक जिले में स्थित वर्तमान कसिया नामक स्थान से की गई है। 

मिथिला के विदेह : बिहार के भागलपुर व दरभंगा जिलों के भू-भाग में विदेह गणराज्य स्थित था। राजा जनक यहाँ के शासक थे। राजधानी मिथिला वर्तमान में जनकपुर (नेपाल) के नाम से प्रसिद्ध है।

 वैशाली के लिच्छवि : यह बुद्ध काल का सबसे बड़ा व शक्तिशाली गणराज्य था। यहाँ का राजा चेटक था। महावीर की माता त्रिशला चेटक की बहन थी। चेटक ने अपनी पुत्री चेल्लना का विवाह मगध नरेश बिम्बिसार के साथ किया था। 

पिप्पलिवन के मोरिय : पिप्पलिवन का क्षेत्र गोरखपुर जिले म कसम्ही के निकट स्थित राजधानी नामक ग्राम से किया जाता है। चन्द्रगुप्त मौर्य इसी परिवार में उत्पन्न हए थे। मोरिय शब्द से ही मौर्य शब्द बना था।

अवन्ति राज्य मध्य मालवा और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती नगरों में फैला था। इस राज्य के दो भाग थे, उत्तर भाग की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिण भाग की राजधानी माहिष्मती थी। पश्चिम की ओर, यमुना के तट पर वत्स जनपद था। इसकी राजधानी इलाहाबाद के समीप कौशांबी में थी।

Click Here For :- जैन धर्म
Click Herer For मुग़ल साम्राज्य 
Click Here For :–गुप्त साम्राज्य
 Click Here for दिल्ली सल्तनत
Click Here For :- विजयनगर राज्य
Click Here For :- खिलजी वंश
Click Here for:- भारत की नदियाँ
Click Here for :- live class 
Click Here For :- भारत की मिट्टियाँ
Click Here For :- भारत के बन्दरगाह
Click Here For :- भारत : एक सामान्य परिचय
Click Here For :- अक्षांश रेखाएँ देशांतर रेखाएँ 
Click  Here For :-पृथ्वी की गतियाँ
Click Here For :-सौरमंडल
Click Here :- ब्रह्मांड
Click Here For  राष्ट्रपति 
Click Here For :-वायुमंडल
Click Here For :- भूकम्प
Click Here For :- आपात उपबंध
Click Here For :- बौद्ध धर्म
Click Here For:-सातवाहन युग
Click Here For ::- Gravitation(गुरुत्वाकर्षण) 
Click Here For:-Acids (अम्ल )
Click Here For ::- Reproduction
Click Here For :-ऋग्वैदिक काल
Click Herer For ::- Human Circulatory System
Click Here For :- Human Respiratory System

महाजनपदमहाजनपदमहाजनपदमहाजनपदमहाजनपद

Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *