रजिया सुल्तान
रूकुनुद्दीन फिरोजशाह ( 1236 ई.)
इल्तुतमिश ने अपनी मृत्यु के पूर्व अपना राज्य अपनी पुत्री रजिया को सौंपने की इच्छा व्यक्त की थी। इसका कारण यह था कि, उसके योग्य और बड़े पुत्र, लखनौती के शासक, नासिरूद्दीन महमूद की मृत्यु हो चुकी थी तथा छोटा पुत्र रूकुनहीन फिरोजशाह एक दुर्बल और अक्षम व्यक्ति था। तुर्क अमीर एक स्त्री को राज्य करते हुए देखना अपना अपमान समझते थे। अतः अनेक तुर्क अमीरों, फिरोजशाह की माता (शाहतुर्कान) और अनेक अक्तादारों ने षड्यंत्र कर रूकुनुद्दीन फिरोजशाह को 1236 ई. में सुल्तान घोषित कर दिया। फिरोजशाह सुल्तान तो बन गया, परन्तु वह राज्य पर नियंत्रण नहीं रख सका। वास्तविक सत्ता शाहतुर्कान फिरोज की माँ के हाथों में चली गयी। जो एक क्रूर महिला थी।

रजिया सुल्तान (1236-1239 ई.)
ग्वालियर से वापस आने पर इल्तुतमिश ने रजिया को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
रजिया को अपने भाइयों और शक्तिशाली तुर्क अमीरों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़ा। वह केवल तीन वर्ष शासन कर पाई।
दिल्ली में सुल्तान की अनुपस्थिति का लाभ उठाकर रजिया लाल वस्त्र पहनकर (न्याय की माँग का प्रतीक) नमाज के अवसर पर जनता के सम्मुख उपस्थित हुई।
उसने शाहतुर्कान के अत्याचारों व राज्य में फैली अव्यवस्था का वर्णन किया तथा आश्वासन दिया कि, शासक बनकर वह शांति एवं सुव्यवस्था स्थापित करेगी।
रजिया से तुर्क अमीर और आम जनमानस प्रभावित हो उठे। क्रुद्ध जनता ने राजमहल पर आक्रमण कर शाहतुकोन को गिरफ्तार कर लिया एवं रजिया को सुल्तान घोषित कर दिया।
फिरोजशाह जब विद्रोहियों से भयभीत होकर दिल्ली पहुंचा तब उसे भी कैद कर लिया गया तथा उसकी हत्या कर दी गया। नवंबर, 1236 ई. में रजिया सुल्तान के पद पर प्रतिष्ठित हो गयी। रजिया दिल्ली सल्तनत की प्रथम व अन्तिम मुस्लिम माहला। शासक थीं।
- रजिया दिल्ली सल्तनत की प्रथम व अन्तिम मुस्लिम महिला शासक थीं।
रजिया के शासनकाल में सत्ता के लिए राजतंत्र और उन तुर्क सरदारों के बीच संघर्ष आरम्भ हुआ, जिन्हें कभी-कभी चहलगानी या चालीसा कहा जाता था।
रजिया ने पर्दा प्रथा को त्याग दिया और पुरुषों के समान कुबा (कोट) और कुलाह (टोपी) पहनकर दरबार में बैठती थी तथा शासन कार्य संभालती थी।
वजीर निजाम-उल-मुल्क जुनैदी ने उसकी गद्दीनशीनी (राज्यारोहण) का विरोध किया था और उसके विरुद्ध अमीरों के विद्रोह का समर्थन किया था।
तुर्क अमीरों ने उस पर नारी सुलभ शील का त्याग करने और याकूत खाँ नामक अबीसीनियाई अमीर पर अत्यधिक मेहरबान होने का आरोप लगाया था।
लाहौर और सरहिंद में विद्रोह भड़क उठा। उसने स्वंय ही सेना के साथ मिलकर लाहौर पर आक्रमण कर दिया। जब वह सरहिंद की ओर बढ़ रही थी, उसी समय उसके खेमे में विद्रोह भड़क उठा।
याकूत खाँ की हत्या कर रजिया को तबरहिंद (भटिंडा) में बंदी बना लिया गया परन्तु रजिया ने अपने को बंदी बनाने वाले सरदार अल्तूनिया को अपने पक्ष में कर लिया। जिसके पश्चात् रजिया ने अल्तूनिया से विवाह कर दिल्ली को फिर से विजय करने की एक और असफल कोशिश की। रजिया बहुत बहादुरी से लड़ी लेकिन पराजित हो गयी तथा उन्हें भटिण्डा की ओर वापस लौटना पड़ा परन्तु कैथल (हरियाणा) के पास 13 अक्टूबर 1240 को कुछ डाकुओं द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी।
मध्यकालीन महिला शासिकाएँ, व उनका कालक्रम
महिला शासक | शासनकाल | वंश | राज्य |
रजिया सुल्तान | 1236-1240 ई. | गुलाम | दिल्ली |
रानी रूद्रम्मा | 1260-1291 ई. | काकतीय | द्वार समुद्र |
मरदूमजहाँ | 1461-1469 ई. | बहमनी | बहमनी दक्षिण |
रानी दुर्गावती | 1560-1564 ई. | गोंड | गढ़कटंगा |
चाँदबीबी सुल्तान | 1595-1596 ई | अहमदशाही | अहमदनगर |
बेगम बड़ी साहिब | 1656-1663 ई. | आदिलशाही | बीजापुर |
ताराबाई | 1700-1707 ई. | भोंसले | मराठा |