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वर्ण

वर्ण क्या हैं

लघुत्तम सार्थक ध्वनि जिसके टुकड़े ना हो सके।

लघुत्तम सार्थक ध्वनि/अर्थ पूर्ण ध्वनि जिसके और टुकड़े ना हो सके।

लघुत्तम मौखिक मानक ध्वनियों का लिखित रूप वर्ण कहलाता है

वर्ण ध्वनि की सबसे छोटी मानक इकाई है

  • हिंदी में वर्गों की संख्या लिखित रूप में 52 होती है। जैसे – अ, आ, इ, ई, क, ख, ग आदि

शब्द क्या होते हैं ?

वर्गों के / मानक ध्वनियों के सार्थक या अर्थपूर्ण समूह को शब्द कहते हैं।

या ध्वनियों की सबसे छोटी सार्थक/अर्थपूर्ण इकाई शब्द कहलाती है।

जैसे- आ,म वर्गों से मिलकर ‘आम’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ साधारण व एक प्रकार का फल होता है।

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वाक्य क्या होता है

शब्दों का ऐसा सार्थक समूह या नियमबद्ध समूह जिसके द्वारा कोई विचार प्रस्तुत हो या जिसके द्वारा कोई विचार स्पष्ट हो, वाक्य कहलाता है।

सार्थक व नियमबद्ध शब्दों का समूह वाक्य है

जैसे- मुझे आम खाना है

यह एक शुद्ध वाक्य है।

विचारों का संयोजन:

विचार को वाक्य के माध्यम से व्यक्त किया जाता है, इसलिए भाषा की सार्थक इकाई वाक्य

  • ,वाक्य शब्दों के समूह से बनता है
  • शब्द वर्गों के समूह से बनते हैं

ध्वनि की लघुत्तम सार्थक इकाई वर्ण होती है

वर्ण———— शब्द————- वाक्य

भाषा की अशुद्धियां

वर्ण के आधार पर भाषा की अशुद्धियांवर्ण के आधार पर जैसे- ‘झ’ के स्थान पर ‘क्ष’ लिख दिया जाए

 शब्द के आधार पर भाषा की अशुद्धियांजैसे कमल, दशानन ,जलज आदि को लकम, शदानन, जजल आदि कहें तो अशुद्ध शब्दों से अशुद्धियां उत्पन्न होती है

 वाक्य के आधार पर अशुद्धियां – जैसे- आम खाना मुझे है, इसमें कोई भी अर्थ स्पष्ट नहीं है और ना ही यह क्रमबद्ध है

व्याकरण

व्याकरण शब्द संस्कृत की ‘कृ’ धातु से बना है, इसकी व्युत्पत्ति इस प्रकार है – वि+आड़+कृ+ल्युट

व्याकरण की परिभाषा व्याकरण वह साधन है जिसके द्वारा भाषा को शुद्ध रूप में लिखा, पढ़ा और बोला जाता है

व्याकरण से भाषा के लिखित, मौखिक शुद्ध रूप का ज्ञान होता है

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व्याकरण का कार्य भाषा को शुद्ध करना है

व्याकरण के विभाग

  • व्याकरण के तीन विभाग है
  • वर्ण -विचार
  • शब्द साधन
  • वाक्य विन्यास

वर्ण——विचार वर्गों के आकार, वर्गों के उच्चारण, वर्गों के मेल से बने शब्दों के अध्ययन से संबंधित है।

शब्द—–साधन के अंतर्गत शब्दों का वर्गीकरण किया जाता है

वाक्य—–विन्यास, वाक्य के अवयवों के परस्पर संबधों का अध्ययन करता है

 

वर्णमाला

वर्गों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहा जाता हैवर्गों के समुदाय को वर्णमाला कहा जाता है

  •  हिंदी की मानक ध्वनियाँ (वर्ण-52)
  •  इन्हीं 52 मानक वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहा जाता है।
  •  वर्णमाला में वर्षों की व्यवस्था उच्चारण के आधार पर होती है।

जैसे- वर्णमाला में पहले स्वरों को स्थान मिलता है, क्योंकि उनका स्वतंत्र उच्चारण होता है तथा फिर स्वरों की सहायता से उच्चरित व्यंजनों को स्थान मिलता है

स्वर:स्वतंत्र उच्चारण अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं अः

व्यंजन :- स्वरों की सहायता से उच्चारण

क, ख, ग, घ, ड.

च, छ, ज, झ, ब

ट, ठ, ड, ढ, ण

त, थ, द, ध, न

प, फ, ब, भ, म

य, र, ल, व

श, ष, स, ह

ड़,ढ़

क्ष, त्र,ज्ञ, श्र

भाषा विचारों को आदान-प्रदान करने का माध्यम है जो ध्वनियों के द्वारा उत्पन्न होती है।

 

ध्वनियाँ कैसे उत्पन्न होती हैं ?

ध्वनियाँ स्वर-तंत्रियों में कंपन के द्वारा उत्त्पन्न होती हैं

स्वरतंत्रिया (कंठ)-(vocal cords) हमारे फेफड़ों से निकली वायु कंठ में मौजूद स्वर तंत्रियों से टकराकर उनमें कंपन करती है तथा उस कम्पन से वर्ण उत्त्पन्न होते हैंवर्ण

 

 

उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण

 व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा मुख के अलग-अलग भागों से टकराती है।

उच्चारण के अंगों के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण इस प्रकार है

कंठ

तालु मूर्धन्य

दांत

होठ / ओष्ठ

कंठ-तालव्य

कंठौष्ठय

 कंठ्य (गले से)

  • व्यंजन – —-क, ख, ग, घ, ङ
  • स्वर – अ,आ

तालव्य (कठोर तालु से)—

  •  स्वर —-–इ, ई
  • व्यं जन – —च, छ, ज, झ, ञ,य और श

मूर्धन्य (कठोर तालु के अगले भाग से)—–

  • स्वर – —-ऋ (लिखित में)
  • व्यंजन—-ट, ठ, ड, ढ, ण, ष

दंत्य (दाँतों से) – —

व्यंजन— त, थ, द, ध, न, स, र, ल

ओष्ठय (दोनों होंठों से)—

व्यंजन—प, फ, ब, भ, म

स्वर — उ,ऊ

 दंतौष्ठय (निचले होंठ व ऊपरी दाँतों से) —–

व्यंजन—— व, 

कंठ-तालव्य

स्वर –—- ए, ऐ

कंठौष्ठय —

स्वर –—ओ, औ

मानक वर्णमाला में स्वरों की संख्या 13 है एवं व्यंजनों की संख्या 39 है

वर्ण
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