Vanaspati In Hindi
भारत अत्यधिक विविधतापूर्ण जलवायु एवं मृदा का देश है। इसीलिए यहाँ उष्णकटिबंधीय वनों से लेकर टुंड्रा प्रदेश तक की वनस्पतियां पायी जाती हैं। भारत की प्राकृतिक वनस्पतियां को निम्न वर्गों में बांटा जा सकता है Vanaspati In Hindi
उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन
- 200 सेमी. से अधिक ल वर्षा के क्षेत्रों में ये वन मिलते हैं। इसके मुख्य क्षेत्र सह्याद्रि (पश्चिमी घाट), शिलांग पठार, अंडमान-निकोबार द्वीप समह और लक्षद्वीप हैं।
- उत्तरी सह्याद्रि प्रदेश में इन वनों को ‘शोलास मै “धन’ के नाम से जाना जाता है।
- विषुवतीय वनों की तरह ही इन वनों की लकड़ियाँ कठोर होती हैं एवं वृक्षों की अनेक प्रजातियाँ मिलती है।
- पेड़ों की ऊँचाई 60 मीटर से भी अधिक मिलती है। Vanaspati In Hindi
- यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष महोगनी, आबनूस, जारूल, बाँस, बेंत, सिनकोना और रबर है। ये वन मसालों के बागानों के के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
- रबर और सिनकोना दक्षिणी सह्याद्रि और अंडमान-निकोबार में मिलते हैं। अंडमान-निकोबार का 95% भाग इन्हीं वनों से ढंका है।
उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन :
- यह 100 से 200 सेमी. वर्षा क्षेत्र में मिलती है। Vanaspati In Hindi
- इसके मुख्य क्षेत्र सह्याद्रि के पूर्वी ढलान, प्रायद्वीप के उत्तर पूर्वी पठारी भागों, शिवालिक श्रेणी के सहारे भाबर व तराई प्रदेश हैं।
- ये विशेष रूप से मानसूनी वन हैं। यहाँ के प्रमुख पेड़ सागवान, सखुआ, शीशम, आम, महुआ, बाँस, खैर, त्रिफला व चंदन है।
- ये सभी आर्थिक दृष्टिकोण से मूल्यवान हैं। सागवान (Teak), सखुआ (Sal) व शीशम के लकड़ियाँ फर्नीचर बनाने में काम आती हैं।
- रेल के स्लीपर बनाने में सखुआ लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।Vanaspati In Hindi
उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन :
- ये वनस्पतियाँ 70 से 100 सेमी. वर्षा क्षेत्र में मिलती हैं। इन वनों में ऊँचे पेड़ों का अभाव मिलता है।
- शुष्क सीमान्त की ये वन कंटीले वनों और झाड़ियों में बदल जाते हैं।
कंटीले वन व झाड़ियाँ :
- ये वन गुजरात से लेकर राजस्थान व पंजाब के उन भागों में मिलती हैं, जहाँ वर्षा 70 सेमी. वार्षिक से कम होती है।
- मध्यप्रदेश के इंदौर से आंध्रप्रदेश के कुर्नूल तक ये पठार के मध्य भाग में अर्द्धचन्द्राकार पेटी में मिलते हैं।
- यहां की प्रमुख वनस्पतियाँ बबूल, खैर, खजर नागफनी, कैक्टस आदि हैं। Vanaspati In Hindi
पर्वतीय वन :
- चूँकि ऊँचाई बढ़ने पर जलवायुविक दशाओं विशेषकर तापमान व वर्षा में परिवर्तन आते हैं, इसीलिए पर्वतीय भागों में ऊँचाई के साथ वनस्पतियों के स्वरूप में क्रमिक परिवर्तन देखाई पड़ते हैं। Vanaspati In Hindi
- यहाँ ऊँचाई के बढ़ते क्रम में उष्णकटिबंधीय से लेकर अल्पाइन वनस्पतियाँ तक मिलती है।
- 1500 मी. तक की ऊँचाई तक पर्णपाती वन मिलते हैं।
- 1500 से 3500 मी. की ऊँचाई तक कोणधारी सदाहरित वन मिलती हैं, जिनके वृक्षों की लकड़ियाँ मुलायम होती हैं।
- यहाँ देवदार, स्यूस, सिल्वरफर, चीड़ आदि के छोटी व सूच्याकार पत्तियाँ वाले वन मिलते हैं।
- पूर्वी हिमालय के अधिक वर्षा के क्षेत्रों में इस ऊँचाई पर ओक, मैग्नेलिया व लॉरेल के चौड़ी पत्तीवाले सदाहरित वन मिलते हैं।
- अल्पाइन वनस्पतियाँ 2800 मी. से 4800 मी. की ऊँचाई तक मिलते हैं। यहाँ प्रारम्भ में चिनार व अखरोट के पेड़ एवं अल्पाइन चारागाह हैं, जबकि अधिक ऊँचाई पर कोई वनस्पति नहीं मिलती। Vanaspati In Hindi
ज्वारीय वन :
- ये वन मुख्यतः उन भागों में मिलते हैं जहाँ नदियों का ताजा जल समुद्री जल से मिलता है एवं परिणामस्वरूप दलदली भाग बन जाता है।
- गंगा, गोदावरी, कृष्णा आदि के निम्न डेल्टाई भाग इन वनस्पतियाँ के आदर्श उत्पत्ति क्षेत्र है। Vanaspati In Hindi
- यहाँ प्रमुख वनस्पतियाँ मैग्रोव, सुन्दरी, कैजुरीना, केवड़ा एवं बेंदी के वृक्ष हैं।
- ज्वारीय वन समुद्री कटाव को रोकते हैं एवं इनकी लकड़ियाँ जल में सड़ती नहीं है।
- ये भी एक प्रकार के उच्च जैव-विविधता युक्त सदाहरित वन ही हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का सर्वेक्षण
- पर्यावरण और वन मंत्रालय विभिन्न पर्यावरण व वानिकी कार्यक्रमों के नियोजन, संवर्द्धन, समन्वय और क्रियान्वयन की निगरानी भारत सरकार के प्रशासनिक ढाँचे में एक केन्द्रीय संस्था के रूप में कार्य करते हैं। Vanaspati In Hindi
- वनस्पति, जीव-जंतुओं, वनों और वन्य जीवन का संरक्षण और सर्वेक्षण, प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण, वनीकरण और वनहास के क्षेत्रों को फिर से हरा-भरा बनाना और पर्यावरण की रक्षा करना इस मंत्रालय के उत्तरदायित्व है।
- यह देश के प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित सर्वेक्षण तथा सूचीकरण के लिए भी उत्तरदायी है एवं लुप्त होने की आशंका वाली प्रजातियों के जर्म-प्लाज्म और जीन-बैंकों का भी गठन करता है। Vanaspati In Hindi
- अनाइकुटी (थुवाईपैथी, कोयंबटूर) में देश का पहला प्राइवेट बायो-डाईवर्सिटी पार्क खोला गया है जिसमें 150 प्रजातियों के पक्षी और जानवर तथा 520 प्रजाति के पौधे देखने को मिलेंगे।
- जम्मू-कश्मीर में डल झील के समीप सिराज बाग एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप उद्यान है। यहाँ 60 रंगों में ट्यूलिप के 12 लाख से अधिक पौधे हैं।
- उत्तराखंड के रानीचौड़ी (टिहरी) में देश का प्रथम वानिकी एवं बागवानी विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है।
- यमुना नदी के रिवर बेड पर 300 एकड़ क्षेत्र में भारत का पहला बायोडायवर्सिटी पार्क’ स्थापित किया जा रहा है।
- यहां दिल्ली के इको सिस्टम का संरक्षण किया जाएगा। Vanaspati In Hindi
- नार्वे के सहयोग से चेन्नई में एक जैव विविधता नीति और विधि केन्द्र (Centre for Biodiversity Policy and Law- CEBOL) बनाया जा रहा है।
- 1890 ई. में स्थापित भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण विभाग (Indian Botonical Survey Department), कोलकाता देश के वानस्पतिक संसाधनों का सर्वेक्षण और उनकी पहचान करता है।
- 1916 ई. में स्थापित भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (Indian Zoological Survey Department), कोलकाता देश के जीव-जन्तुओं का सर्वेक्षण करता है। इसके देश के र विभिन्न भागों में 16 प्रादेशिक केन्द्र हैं। यह ‘फौना ऑफ द इंडिया’ का प्रकाशन भी करता है।
- 1981 ई. में देहरादून में भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग (Indian Forest Servey Department) की स्थापना हुई। र पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाला यह ऐसा संगठन है, जो वन संसाधनों से संबंधित सूचनाओं व आंकड़ों का एकत्रीकरण के अलावा प्रशिक्षण, अनुसंधान व विस्तारण का कार्य करता है। इसके 4 प्रादेशिक कार्यालय बंगलौर, कोलकाता, नागपुर व शिमला में हैं।
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First Anglo Mysore War
तालीकोटा के प्रसिद्ध ऐतिहासिक युद्ध में विजयनगर साम्राज्य के पतन के पश्चात् उसके अवशेष पर जितने राज्यों का उदय हुआ, उनमें मैसूर भी एक था। इस पर ‘वोडेयार वंश’ का शासन स्थापित हुआ। इस वंश का अंतिम शासक चिक्का कृष्णराज वोडेयार द्वितीय था, जिसका शासनकाल 1734 ई. से 1766 ई. था। इसके शासनकाल में वास्तविक सत्ता दो मंत्री भाइयों देवराज एवं नंजराज के हाथों में केन्द्रित थी। नंजराज ने 1749 ई. में हैदर अली को उसके अधिकारी सैनिक जीवन की शुरुआत का अवसर दिया। 1755 ई. में नजराज ने हैदर को डिंडिगुल के फौजदार पद पर नियुक्त कर दिया।
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